Wednesday, November 28, 2012

याद नहीं कब..

याद नहीं कब

बस्ते से निकाल के

दिल को हवा में उछाला था ,

तन्हा दीवारों को खुरच कर

किसी का नाम उसके सीने पे

दाग डाला था ।।


चिलमिलाती धुप से

नज़रे मिलाने को बेताब थी आँखे

सूरज के आँखों में आँख डाल कर

उसकी रौशनी  चुराने को

बेक़रार थी आँखे ।।


कुरते के बाहों को समेट कर

उसमे ज़माने को दबाना चाहते थे

दिल की आवाज को पानी में घोल

लहू में मिलाना चाहते थे ।।


वो पन्ने समय के कदमो में उलझ

किसी की कुर्बानी हो गए

और वो फ़साने आँखों के समुन्दर में

डूब, पानी पानी हो गए ।।


लगता है कोयले से उधर ले के कालिख

किसी ने मेरे सपनो को , कर दिया काला था

अब याद नहीं कब, बस्ते से निकाल के

दिल को..... हवा में उछाला था ।।

Thursday, November 22, 2012

क्यों तूने , ये दुनिया बनायीं है ?

न जाने कैसी ये

ज़िन्दगी की दौड़ है

हर किसी को , हर किसी से

आगे जाने की होड़ है ।।


यहाँ नहीं सुनता कोई

किसी के दिल की आव़ाज है

यहाँ तो हर एक रिश्ता

बस , शतरंज पे बिछी बिसात है।।


सब के चेहरों पे

कोई दूसरी तस्वीर है

हर कोई दुसरे के गम में

खोज रहा अपनी तक़दीर है ।।


यहाँ पे दुश्मनों से ज्यादा

अपनों से खाए सितम हैं

हर मुस्कुराते चहरे के पीछे

छुपे सैकोड़ो दिल के जख्म हैं ।।


ए खुदा क्या यही दुनिया बनाई थी तुमने ?

ज़हाँ सच्चाई ज़िन्दगी का कफ़न है

जीता है रावन हर एक लडाई यहाँ

अधर्म की मिट्टी में न जाने

कितने सत्य दफ़न है ।।


खोजता हूँ मैं तुमको

हर वक़्त हर लम्हा

ए खुदा तुम बताओ

तुम हो कहाँ , तुम हो कहाँ ।।


अनसुनी हर फरियाद

तेरे दर से लौट आई है

रव मेरे , ये बता मुझे

आखिर क्यों तूने , ये दुनिया बनायीं है।।

Monday, November 12, 2012

शुभ दीपावली

करे रौशन खुदा, हर ख़ुशी आपकी हर कदम जगमगाए, डगर आपक़े इस दीवाली मिल जाए हर सपने सुहाने हर सितारा ज़िन्दगी का , लगे झिलमिलाने 
शुभ दीपावलीराहुल 

Monday, November 05, 2012

वो प्यारी बातें तेरी ...

You Tube Version:



कुछ न कहती थी , जब भी मिलती थी
बस , आँखों से बाते करती थी वो
मैं पूंछता , कुछ लवो से भी कह दो ।

वो देखती मेरी आँखों में , और कहती
बहुत शोर है इस दुनिया में
कही मेरे शब्द, खो न  जाए
इसलिए  आँखों से ही कह देती हूँ

तुम तो देख लेते हो, मेरी आखो से, दिल में
फिर मेरी  लवो की जरुरत क्या हैं
सब जानते हो हाले-दिल मेरा
इससे ज्यादा हकीकत  क्या हैं ?

मैं हँसता , और सोचता
सच ही तो कहती हैं वो
इतनी चाहत करता हूँ उनसे
की कुछ बोले बिना ही
हर बात बयाँ हो जाती हैं
फिर क्यों राज़ दिल के खोले  इन हवाओ से
न जाने कौन दिशा , जो हर बात उड़ा ले जाती है ।।

कभी थम लेती मेरी हाथो को
पास आ के कहती , कितनी प्यार करते हो मुझसे ?
मैं मुस्कुराता और कहता ,
कैसे नापू , उन गहरइयो को
जिसे मैं खुद ही न जान पाया हूँ
नहीं तुम बिन , कोई वजूद हैं मेरा
खुद को तुमसे अलग, न मान पाया हूँ ।।

ऐसी हो बातो में, दिन रात गुजर जाते
और हम खोये रहते एक दुसरे में ।
आज भी दिल में  वही आलम हैं
और सिलसिला प्यार का,
दिल में, आज भी कायम हैं  ।।।

Thursday, July 26, 2012

कुछ करना चाहता हूँ ।। london olympics 2012 || from the heart of an Indian Participant..

आगे.....

बढ़ना ....

चाहता हूँ ....

कुछ कर....

गुजरना ....

चाहता हूँ ...
__________________

अभी हूँ ,......

मैं ज़मी पे ........

आसमा से आगे निकलना 

चाहता हूँ .....

कुछ कर

गुजरना चाहता  हूँ  ...
__________________

हैं मचल रहा ।

कुछ जल रहा ।।

सिने में है,

कुछ गल रहा ।।

मैं उतर दूँ  , कुछ बोझ सा ।

हैं कौन अब  , मुझे रोकता ।।

सारे बंधन तोड़ना

चाहता हूँ

कुछ कर गुज़रना चाहता  हूँ  ।।
__________________

उम्मीद का ...

हैं एक दिया

जल रहा , जी जान से ।

है पुकारता ये, वतन मेरा

की लौटना तू , शान से ।

अब देश ये .....

बस दिल में हैं ।

अब रौशनी

मंजिल  पे हैं  ।।

बस थम के.....

अब जीत को ............

आगे निकलना ..

चाहता हूँ 

कुछ कर गुजरना चाहता हूँ ।।

आगे.....

बढ़ना ....

चाहता हूँ ....

मेरे बतन ..मेरे बतन ...
...
.....

Monday, May 14, 2012

Saturday, March 03, 2012

रिश्ता और मैं

कवि के शब्द : ये कविता के माध्यम से कवि आज कल के रिश्तों पे एक नज़र डालता है । थके हुए इन रिश्तों की दवा कुछ और है , और लोग इलाज कुछ और करते हैं ।।

सुराख़ इतने थे दिल में 
प्यार कतरा कतरा बहते रहे 
सूखता रहा समुंदर दिल का
हम झरना कही खोजते रहे ||

दिल बन गया मरासिम का कब्रगाह 
और हम कहीं  शमशानों में अपनों को ढूढते रहे 
जलता रहा हर रिश्ता धू धू कर 
हम बदलो से  पानी  को पूंछते  रहे ।।

वक़्त चलता रहा चाल अपनी
और लोग अपनी राहें बदलते रहे
होती गयी मेरी ज़िन्दगी खाली सी 
हम गड्ढो को भरने में लगे रहे ।।


अब शहरो में बस गए हैं हम
की तन्हाई की आदत जो लग गई  हैं 
लाखो चेहरों  में छुप कर सुकून मिलता है ,
भागते इन शहरो में ,  मेरी ज़िन्दगी 
कहीं तो रुक गयी है ।।

Wednesday, February 29, 2012

वो प्यार क्या हैं


[ कवि के शब्द : ये कविता उस प्यार उस रंग के बारे में हैं जो हमे नहीं दिखता । हर दिखने वाले प्यार के पीछे एक पूरक प्यार होता है जो मौन रहता हैं । सोचिये वो अंधेरो के बारे में जो चाँद के साथ रहते हैं , अगर वो अँधेरे न होते तो चाँद का वजूद क्या हैं , वैसे ही कुछ प्यार के बारे में ये कविता प्रकाश डालती हैं ]


कोई बताये मुझको ये तो
ये बला , प्यार क्या हैं
जो झुक गया हैं आसमा, तो
ज़मी का, इंतज़ार क्या हैं
लला लला ला ला लाला , लला लला ला ला लाला
जुजू जुजू जू जू जुजू , जुजू जुजू जू जू जुजू ,


किसी के वास्ते जो, खड़े हैं
आते जाते रास्तो में
जो रुक गया हैं वो मुसाफिर, तो
खुले किवाड़, घर के क्या हैं
लला लला ला ला लाला , लला लला ला ला लाला
जुजू जुजू जू जू जुजू , जुजू जुजू जू जू जुजू ,

बदल रहा हैं कोई मौसम
हवा कही बदल रही हैं
जो जल रहा चिराग वो हैं, तो
खड़ा अँधेरा, साथ क्या है ।।
लला लला ला ला लाला , लला लला ला ला लाला
जुजू जुजू जू जू जुजू , जुजू जुजू जू जू जुजू ,


दिखा रहा है कोई रिश्ता
कोई अनकहे  निभा रहा है
जिसे बुला सके सही वो
तो, रिश्ता अनाम क्या हैं ।।
लला लला ला ला लाला , लला लला ला ला लाला

जुजू जुजू जू जू जुजू , जुजू जुजू जू जू जुजू ,

Saturday, February 25, 2012

Re posting "Ho Jaaye" in my voice

http://www.youtube.com/watch?NR=1&feature=endscreen&v=HQWCBwPCqO0

"हो जाए"  , एक शाम और उसके  महफ़िल के बारे में हैं । शायर एक अच्छी शाम और उसके भावनाओ को दिखाना चाहता है ।।

Reposting "Teri Aankhon me" in my voice

http://www.youtube.com/watch?v=mygGATlbyaI

'तेरी आँखों में ' प्यार को बताने की एक शायराना कोशिश है।



Friday, February 17, 2012

प्यार का गम

कुछ मिले, तन्हाई के सिवा ,
ऐसी किस्मत नहीं लगती हैं
तक़दीर लिखी है जिसने मेरी ,
शायद उससे अब मेरी , नहीं बनती हैं
...
आधे  अधूरे ख्वाबो के दिल पे  ,
टुकड़े सारे फैले मिलते  हैं
उम्मीदों के चेहरों पे अब तो ,
कपडे भी अब, मैले  दिखते हैं ।।
 .....

खाली खाली ये दुनिया , तुम बिन
कहा अब अच्छी लगती है हमको
रख लो एक कोने में दिल के
नहीं अगर  है , शिकवा तुमको ।।
......

हर बात तुम्हे कह पाना मुश्किल हैं ,
बातो को तुमसे  , छुपाना मुश्किल हैं
हर पल कटते है , सालो के जैसे ,
अब सालो तुम बिन , रह पाना मुश्किल हैं ।।

नक़ाब