Thursday, February 24, 2011

इश्क की इम्तिहा

किसी के इश्क की इम्तिहा न ले कोई
किसी के सब्र की इंतिहा न हो जाए
प्यार मर न जाए प्यासा यु ही
और आंशुओ के सैलाब में
ज़िन्दगी न बह जाये …
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कब्र जब भी खुदे हैं प्यार के
आसमा से , खुदा की आह निकली है
प्यार अकेला सही , पर बेबस नहीं
कही खुदा की निशाने पे ,
बेदर्दो के जिगर न आ जाये
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बहुत नाजुक है उनके लवो पे लगी दुआए
इतनी जोर से न हिलाओ की ये ज़मी पे आ जाए
उन्ही की दुआ से झिलमिला रहे हैं चमन तेरे
कही उनकी दुआओं में कोई कमी न आ जाए
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दिल के निशानों को
क्यों वक़्त के पानी से धोने चले हो
कही निशानों के साथ तेरी
रूह की तस्वीर न मिट जाए …
चन खुशियों के लिए खुद को बदलो न यु
की बे-रूह ये खुशिया , शायद , कुछ काम न आये

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9 comments:

  1. दिल के निशानों को

    क्यों वक्त के पानी से धोने चले हो

    कहीं निशानों के साथ तेरी

    रूह की तस्वीर न मिट जाये '



    सुन्दर भाव

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  2. बहुत नाजुक है उनके लवो पे लगी दुआए
    इतनी जोर से न हिलाओ की ये ज़मी पे आ जाए
    उन्ही की दुआ से झिलमिला रहे हैं चमन तेरे
    कही उनकी दुआओं में कोई कमी न आ जाए

    Bahut badhiya...shabaash.

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  3. आसानी से नहीं मिटते ये निशान....शुभकामनायें राहुल !

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  4. आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  5. aap ko bhi holi ki kamnaye...hope holi was gr8 for u all

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  6. Ritu Singh9:06 AM

    awesome composition Rahul...the last stanza is simply perfect!

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