Sunday, May 30, 2010

मनवा करे है धक् धक्

(नीचे लिखे पोएम को गाने की तरह पढ़िए , ये एक इंतज़ार करती गाव की औरत की बारे में है )
खाली मनवा करे है धक् धक्
कोसे  है दिल को , करे हैं बक बक ....खाली मनवा ||
गए हैं दूर , पिया हमसे , 
भाए ना कुछ कुछ , पिया तबसे 
जुगुनुवा से करे हैं बातें 
आधी रतिया काटे हैं तन को ....खाली मनवा  ||
नदिया छोर ,  का करे है कस्ती ?
एक पग ना चले है, कस्ती
करे हैं डगमग , पउवा ना सम्हले
कैसे भर लाऊ कुए से पानी .... खाली मनवा ||
भरा हैं आंखन , करे हाउ डब डब
पढ़ा ना जाए , मनवा भर आये
कैसे खोलू चिठिया तोरा
हथिया मोरा पत्थर हो जाये ....खाली मनवा||

1 comment:

  1. Anonymous9:55 PM

    देसी सुगंध की तो बात ही कुछ और है - बहुत खूब

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