Friday, April 30, 2010

Break le...Life)











Cut rahi hain zindagi
कट रही हैं ज़िन्दगी
Kuch bhi ho na pata
कुछ भी हो ना पता
Thak gaye hain kadam
थक गए हैं कदम
soch le.....
सोच ले
break le break le break le......
ब्रेक ले ब्रेक ले ब्रेक ले
......
dil me agar jo jagah na mile
दिल में अगर जो जगह ना मिले
dusre ke liye , koi ghar na mile
दुसरे के लिए कोई घर ना मिले
sochta hai agar tu. sirf ek ko....soch leeeeeee
सोचता हैं अगर तू सिर्फ एक को......सोच ले
break le break le break le...
ब्रेक ले ब्रेक ले ब्रेक ले
..............
Kat'ti hain har subah
कटती हैं हर सुबह
Raat kat jaati hain
रात कट जाती हैं
khus karne me hi
खुश  करने में ही
baate thank jaati hain
बातें थक जाती हैं
Thoda khihila ke has...sach bol de
थोडा खिलखिला  के हस , सच बोल दे
break le break le break ले
ब्रेक ले ब्रेक ले ब्रेक ले
................
Ho gaya hain bore zo , tu apne naam se
हो गया हैं बोर जो , तू अपने नाम से
Har gadi lag raha , tu gaya kaam se
हर घड़ी लग रहा , तू  गया काम से
zara battiya bujha...kuch andhra zala
ज़ारा बातिया बुझा , कुछ अँधेरा ज़ला
kaali rootiya, zara sek le...
काली रोटिया  ज़ारा सेक ले
break le break le break le....
ब्रेक ले ब्रेक ले ब्रेक ले

Wednesday, April 28, 2010

Ye Shaam (Love)

दे दो अपने हाथो को मेरे हाथो में
साथ चलेंगे हौले से चान्दिनी रातो में
कसम से बहुत सम्हाला था दिल को
पर प्यार सा होने लगा है बातो बातो में
.....
सुनहरी शाम हैं और हलकी हवाए हैं
घने जुल्फों को तेरी आँखों पे ले आये हैं
हटा लो उन जुल्फों को आपने आँखों से
घने बदलो के पीछे , चाँद अभी भी शर्माए हैं
...............
तेरे होटो को छु कर , ये हवा जो मेरे पास आई हैं
शर्म से लाल , अभी भी थोड़ी शरमाई हैं
लगता हैं तुम्हारे सुर्ख होटो की शबनम
 इसी गुस्ताख ने चुरायी हैं
......
आओ बैठो मेरे पास ,
अपनी साँसों को मेरे नजरो से छु लेने तो दे
बेताब हैं ये आँखे , तुम्हे देख कर
तेरे आँखों के इन्हें रूबरू होने तो दो
.............

Sunday, April 25, 2010

Ek safar ki kahani (Life)

गुजर जाती हैं ज़िन्दगी
और हम, राहे दूंदते रह जाते हैं
मंजिले मालूम नहीं पर
हर मोड़ पर पता पूंछते रह जातें हैं
...
कभी सीधी तो कभी उलटी
जो भी राह मिली , चलते रहते हैं
जो मिला वही हमसफ़र
अगली राह पे , नए लोग मिलते रहते हैं
...

छुपा लिया कभी गम के निशा

तो कभी खुशियों के नकाब ओढ़  कर
चेहरे को बदलना अच्छा लगता हैं
सच वही हैं, जो छिपा राहे
आज कल हर झूट ही, सच्चा लगता हैं
.....
मालूम हैं, कोई नहीं तो ये हवाए तो साथ देगी
काफिले गुजर जायेंगे यु ही,
मिटने को उसके निशा , हवाए ही साथ होगी
बड़ी बेदर्द इन हवाओ की कहानी हैं
साथ हो कर भी साथ होती नहीं
थम जाती हैं , फिर भी इनकी रात होती नहीं
आँखे खोल कर हर चेहरा  पढती हैं
खुद क्या है , कोई राज खोलती नहीं
मंजिले इनकी भी नहीं होती
कभी इस दिशा तो कभी , उस दिशा
कभी कभी सोचता हु
कौन  सी बाला हैं, क्यों थकती नहीं
रूकती नहीं , किसी का राह तकती नहीं
साथ रहती हैं , फिर भी साथ रहती नहीं
.......
फिर सोचता हु
ये साथ के अर्थ क्या हैं
साथ रहने के, सुना हैं बहुत अफ़साने हैं
साथ चलने के , शर्त क्या हैं
कोई कहता हैं , प्यार में शर्त नहीं होती
कभी कभी प्यार की राहे अजब होती हैं
हर शायर कहते हैं, प्यार की कोई तर्क नहीं होती
फिट भी सब प्यार को अपनाना चाहते हैं
मर के भी , प्यार को पाना चाहते हैं
क्या बला हैं ये प्यार ,
हर मोड़ पे बदल जाते हैं
जो मिला हमसफ़र मुस्कुरा कर
हम उसी से प्यार कर जाते हैं
.........
प्यार करना भी तो इतना असा नहीं
हर किसी को जयादा कुछ आता नहीं
सुना हैं आजकल प्यार के अलग मायने होते हैं
प्यार को हर कोई आजकल पाता नहीं
......
पाते तो हम कभी हवाओ को भी नहीं
प्यार की तरह हर राह में साथ रहती हैं
खुद कुछ भी साफ़ कहती नहीं
चहरे के पास, कानो में
बस बुदबुदाती रहती हैं
.........
साफ़ कहना , लोगो की फितरत नहीं
साफ़ सुनना लोगो की आदत नहीं
मस्फुक हैं इतने , बस मज़िलो को धुंडने में
किसी को उनकी राहे पूछने को इजाजत नहीं
.........
सुना हैं , इसलिए लोग राहे दुंदते रह जाते हैं
हवाओं को बंद कर नहीं पाते मुठियो में
प्यार को शर्तो में बंधते रह जाते हैं
मुसाफिर ही नाम होता हैं उनका
काफिलो में गूम ,
बस निशा कदमो के ,
छोर जाते हैं
फिर ये पागल हवाए , आती हैं न जाने कहा से
मिटा देती है हर कदम
शुरू हो फिर एक नया सफ़र ,
फिर बने एक कहानी , वहा से
..... to be continued ...
 

Friday, April 23, 2010

तुम कौन हो (लव)

Tum kaun ho
Meri,
suni zindagi me
Angel ban ke aayi ho

Badi bewajah meri,
raahe lag rahi thi
pyar bhare sapne le kar
aisa angle layi ho.....angel ban ke aayi ho

aaisa kya kiya maine
Pichli zinadagi me
Is zindagi me mujhko
Tum se mila diya...badi bewajah.....1

kabhi jo gira main, tera haath paya hain
Khusi me , gum me mere
Tera hi to saaya hain ,
Ye , rab ne bataya hain .....tum kon ho......1

Zaha bhi mai dekhta hu
Mere saath ho
Ho subah, ya ho saam
Mere pass ho
tum, rainbow ban ke chayi ho....angel ban ke aayi ho...

Saturday, April 17, 2010

Being alone....

its not the first time i am alone ... I have been a musfir all along my life ,hopping school to school , city to city , state to state , frds to frds... & now countries, change is something , that remained with me & myself very comfortable growing along from boy to man. being a man is not every time so easy , so many eyes looking for u , endless waits and tears shouting all across that hey there is something u have left behind this time,..and i say yes , i did leave.
to , my dear dazy & Tejas, though u r thr far "saat samundar" , there is enough magnet in my heart that keeps me attached from u both. There is always an ultimate destination to every musfir , and i have identified mine too... so though i am far away ...but remember " ye raah meri manzil nahi " & i will back soon to walk along with u , together we shall reach "hamari manzil"

नक़ाब