Tuesday, June 30, 2009

रात दीवानी...


रात दीवानी...
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होश में आए नही ये रात
नही आए किसी के लव पे, सुबह की बात
ये बात अधूरी रह न जाए
ये रात अधूरी रह न जाए
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वक्त को भी पिला दो साथिया
ये रात को लम्बी, हो जाने दो
खत्तम न हो अफ़साने दिल के
हर बात को लम्बी हो जाने दो
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अभी तो शुरुर छाया है थोड़ा
थोड़ा और पिला दो प्यालो में
आया जाए हर बात लवो पे
न रह जाए कुछ आज, खयालो में
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छा जाए नशा हवाओं में
हर बूंद को यहाँ, पिलाने दो
हाथो से हाथ बहुत मिलते है
दिल से दिल को आज, मिलाने दो
....
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Thursday, June 25, 2009

Pyar Ki Kahani...




अक्सर आती हु तुमसे मिलने

तुम अक्सर मुझे रख़ नही पाते

बिजी हो इतने , न जाने कितने

इस हीरे को अक्सर तुम, परख नही पाते

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गैरो की आँखों में धुंद्ते रहते हो अक्सर

अपने ही आँखों में, देख नही पाते हो

ऐसा भी क्या रंग है मेरा की

बेरंग इस दुनिया में भी , मुझे धुंद्ते रह जाते हो ......

बंद कर लेते हो मुट्ठियों में,
छोर कर अकेले , हर जगह घूमते हो
मिल गई है एक बार , कहा छोढ़ जायेगी ये

न जाने क्यो अक्सर, यह सोचते हो...
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वक्त होता हर हर शक्स के लिए

पर मेरे लिए वक्त निकालना मुमकिन नही होता है

चली जाती हु, रूठ कर फिर भी

तुम्हे ख़बर , एक जामने के बाद होता है
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Wednesday, June 17, 2009

Love Aaj Kal...


लव आज कल...


दिल के दरवाजो पे दस्तक देने से पहले
दिल जैसे घरो में बस जाना कहते है
उफ़ आज कल का इश्क दीवाने
हर चीज़ शोर्ट कट में पाना चाहते है
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मोहब्बत में उन्हें आजमाने से पहले
मोहब्बत में मर मिट जाना चाहते है
दो चार कदम चले भी नही है
और मंजिले की राहे मिलाना चाहते है..
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प्यार में दो चार
मौसम बिताने से पहले
सात जन्मो के किस्से सुनाना चाहते है
न जाने क्यों आज कल ये दीवाने
हवाओं में महल, बनाना चाहते है
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इश्क नाज़ुक कड़ी है,
नादा ये आशिक कहा जानते है
सीखा है इन्होने हासिल, लड़ के करना
ये मोहब्बत की भाषा नही जानते है
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Monday, June 15, 2009

Mai Bachpan hu..




आजाद ,उन्मुक्त
निर्भय , निडर हु मै
बचपन हु मै
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छोर के चले आए हो दूर इतने
पीछे रह गए है याद कितने
उन यादो की कुछ पुरानी कडिया हु मै
तुम्हारा, बचपन हु मै
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हजारो नकाबो के पीछे छुपा
एक चेहरा हु तुम्हारा
भूल न जाओ ख़ुद को इन अंजान गलियों में
एक पहरा हु तुम्हारा
बिना रुके जो चलते रहते थे कदम
उन कदमो की आगाज हु मैं
तुम्हारी आवाज हु मैं
बचपन हु मैं..
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नही तोड़ पाओगे ख़ुद से
वो डोर हु मैं
हर वक्त जब चाहोगे
तुम्हारी ओर हु मैं
अमिट रिस्तो की शुरुआत हु मैं
जो सपने हो रहे है आज पुरे
उन सपनो की मधुर आकर हु मैं
मगन हु तुम्हारा आज को कल से जोड़ने में
तुम्हारे दिल में जम गई दीवारों को तोड़ने में
तुम्हे आइना दिखने में हर वक्त विलीन हु मैं
बचपन हु मैं..
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Dhime se...



धीमे से , धीमे से

अहिस्ता प्यार होने लगा है..

खुल गया है आसमा,

रंगीन, ये जहा होने लगा है...

धीमे से अहिस्ता,

प्यार होने लगा है.

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गूंजता है ये मन

जाने क्या,पूछता है ये मन

गुनगुना रही है बादिया पर,

शांत..खामोश सा मन होने लगा है...

धीमे धीमे से,

अहिस्ता प्यार होने लगा है.

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Friday, June 12, 2009

Aimless...

कभी दिशा
तो कभी
दिशाहीन हु मैं...
न ही शुरुआत,
न ही अंत,
बेखबर ,
रौंदी सी ज़मीं हु मैं...
आसमा हु कभी
चादर की तरह लपेटे
बदलो सी कमीज़ भी हु
आई हवाए जिस दिशा से
उस दिशा से लपटी ताबीज भी हु
कभी दिशा तो कभी दिशाहीन भी हु...
नैदियो की धार हु
नावों के मजधार भी हु
गूंजती नदियों की किलकार भी हु
गिर के बिखर जाते समुन्दर पे
गूंजती तट की मधुर ललकार भी हु

नक़ाब