बहुत याद आती है तेरी
तो छिप के थोडा रो लेते हैं
साथ आपने ज़िन्दगी के होकर
अंधेरो में कही सो लेते हैं
.....
खली खली ये दिल जब भी कभी
तेरी यादो से भरने लगता है
आशुओ के बौछारों से फिर
आपना दमन भिगो लेते हैं
.......
मुस्कुरा लेते है आपनी चाहत पे
तो कभी आपनी किस्मत पे रो लेते हैं
तुम्हारा चेहरा जब भी सब में दिखने लगता है
तो मोतियों सी आँखों में पिरो लेते हैं
..........
कभी सोच लेते हैं कल को
तो कभी गुजर गए कल की याद भी कर लेते हैं
तेरे बिना ज़िन्दगी बहुत सताती है मुझको
तो गिरो से आजकल दोस्ती भी कर लेते हैं ..
..........
आब इस तरह शब्दों के जाल बुन कर
ज़िन्दगी को दो कदम बड़ा लेते हैं
गम के बोझ उठए नहीं उठते तो
कफ़न खुद पर चड़ा लेते है
.....
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Monday, May 23, 2005
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
कभी देख लो एक नज़र इधर भी की रौशनी का इंतज़ार इधर भी हैं मुस्कुरा के कह दो बातें चार की कोई बेक़रार इधर भी हैं || समय बदलता रहता हैं हर...
-
कभी मैं जो रास्ता बनु तुम मेरी मंजिल, बन जाना कभी मैं तुममे और तुम मुझमे इस तरह सिमट जाना कभी || की जब बनु मैं सोच तुम अहसास बन जाना ...
No comments:
Post a Comment
कुछ कहिये